back arrowGo Back

Share

विश्व गुरु बनने के लिए मजबूत बुनियाद जरूरी

By Pushpender Sharma

Aug 4, 2023

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में उनकी दूर दृष्टि,कड़ी मेहनत और संकल्प के कारण भारत का मान सम्मान पूरी दुनिया में निरंतर बढ़ रहा है। आपदाग्रस्त कमजोर देशों की सम्यक मदद और तेजी से  बढ़ती अर्थव्यवस्था ने भारत को  विश्व गुरु बनने की राह में अगली पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया है। मुल्क के एक-एक बच्चे तक बुनियादी शिक्षा का पहुंचना उतना ही जरूरी है जैसे इंसान को जिंदा बने रहने के लिए ऑक्सीजन का उपलब्ध होना।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में उनकी दूर दृष्टि,कड़ी मेहनत और संकल्प के कारण भारत का मान सम्मान पूरी दुनिया में निरंतर बढ़ रहा है। आपदाग्रस्त कमजोर देशों की सम्यक मदद और तेजी से  बढ़ती अर्थव्यवस्था ने भारत को  विश्व गुरु बनने की राह में अगली पंक्ति में लाकर खड़ा कर दिया है।

मुल्क के एक-एक बच्चे तक बुनियादी शिक्षा का पहुंचना उतना ही जरूरी है जैसे इंसान को जिंदा बने रहने के लिए ऑक्सीजन का उपलब्ध होना। बुनियाद में उचित और उपयुक्त शिक्षा होगी तभी हमारे भविष्य के मूलभूत सपने साकार होंगे। हमारा समाज आगे बढ़ेगा।  सुविख्यात कवि राजेश जोशी की कविता में भी बच्चों की बुनियादी शिक्षा को लेकर कुछ मूलभूत चिंताएँ प्रकट की गयी हैं –

“कोहरे से ढंकी सड़क पर बच्चे काम पर जा रहे हैं

सुबह- सुबह

बच्चे काम पर जा रहे हैं

हमारे समय की सबसे भयानक पंक्ति है यह

भयानक है इसे विवरण के तरह लिखा जाना

लिखा जाना चाहिए इसे सवाल की तरह

काम पर क्यों जा रहे हैं बच्चे?

क्या अंतरिक्ष में गिर गई हैं सारी गेंदें

क्या दीमकों ने खा लिया हैं

सारी रंग बिरंगी किताबों को

क्या काले पहाड़ के नीचे दब गए हैं सारे खिलौने

क्या किसी भूकंप में ढह गई हैं

सारे मदरसों की इमारतें

क्या सारे मैदान, सारे बगीचे और घरों के आँगन

खत्म हो गए हैं एकाएक

तो फिर बचा ही क्या है इस दुनिया में?

बच्चे, बहुत छोटे-छोटे बच्चे

काम पर जा रहे हैं।”

स्किल इंडिया स्टार्टअप और निपुण भारत जैसे अभियान भारत के भावी कर्णधारों को सशक्त कर रहे हैं। भारत को वास्तव में विश्व गुरु बनना है तो आने वाली युवा पीढ़ी को इसकी जिम्मेदारी निबाहनी होगी।

यकीनन यह सब अच्छी बातें है पर यह सपना साकार करने के लिए आगे आने वाली पीढ़ी को बहुत मेहनत करनी पड़ेगी। सवाल यह है कि क्या हमारी भावी पीढ़ी इस जिम्मेदारी का निर्वाह ठीक ढंग से कर पाएगी तो जवाब देने में शायद आप संकोच करेंगे। आपका विश्वास हिल जाएगा। इसका कारण है बुनियादी शिक्षा में चिंतित करने वाले आंकड़े। यह आंकड़े बहुत अधिक आस नहीं जगाते। सच तो यह है कि यह आंकड़े सही अर्थों में डराते हैं। पहली, दूसरी और तीसरी कक्षा में जो बच्चों को सिखाया और पढ़ाया जाता है उसके परिणाम सुखद नहीं लगते। बहुत से बच्चे तीसरी में हैं पर उनका अंक ज्ञान और अक्षरों को पहचानने की योग्यता पहली कक्षा के छात्र के बराबर है।

इसका नतीजा? बाद में वे फेल हो जाते हैं। पढ़ाई से जी चुराने लगते हैं। या स्कूल छोड़ देते हैं। मतलब निपुण भारत और हर छात्र को हुनर का नारा असफल होता हुआ लगता है। इस सपने को साकार करने के लिए बुनियादी रूप से मजबूत होना भी जरूरी है। असलियत यही है कि किसी इमारत की बुलंदी तभी संभव है जब उसकी नींव सही अर्थों में मजबूत होगी। भारत को आगे ले जाना है तो उसकी नींव अर्थात बुनियादी शिक्षा का व्यावहारिक होना जरूरी है।

सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन इसी प्रकार शिक्षा के प्रसार के लिए काम कर रही है। प्रदेश और केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजना निपुण भारत के लिए माहौल बनाने में यह संस्था बुद्धिजीवियों, जन प्रतिनिधियों, शिक्षकों तथा समाज के उन लोगों को प्रेरित कर रही है जो इस अभियान में अपना योगदान दे सकते हैं।

दीप से दीप जलातेे चलो। शिक्षा की गंगा बहाने चलो। इसी कड़ी में फाउंडेशन ने उत्तर प्रदेश में सुलहकुल की नगरी आगरा में एक गोष्ठी का अयोजन किया, जिस्में उत्तर प्रदेश सरकार की महिला कल्याण और पुष्टाहार राज्यमंत्री बेबी रानी मौर्या ने अभिभावकों से बच्चों को अच्छे संस्कार देने के लिए प्रोत्साहित किया, और साथ ही शिक्षक वर्ग से अपनी जिम्मेदारी निबाहने का आह्वान किया।

ऐतमादपुर के विधायक धर्मपाल सिंह ने बचपन के खटटे-मीठे अनुभव साझा करते हुए बताया कि अधिकांश शिक्षक शहरों में स्थित स्कूलों में तैनाती चाहते हैं और सुदूर ग्रामीण क्षेत्रों में नहीं जाना चाहतें। उन्होंने कहा कि वह खुद एक शिक्षक होने के नाते शिक्षक समुदाय से अपील करते हैं कि बच्चों के दिलों से शिक्षा को लेकर तरह – तरह के  डर को दूर करें। फिरोजाबाद के विधायक मनीष असीजा ने भी शिक्षक समुदाय से अनुरोध किया कि वे ऐसा आचरण रखे जिससे बच्चों के मन में शिक्षा को लेकर जागरूकता  आये। बच्चे उनके द्वारा बताई गयी बात ठीक से समझ पाएँ  और मन लगाकर पढ़ाई करें।

श्री सोलंकी डायट प्राचार्य ने उत्तर प्रदेश की योगी सरकार की सराहना करते हुए परिषदीय विद्यालयों के कायाकल्प और शिक्षकों के समुचित प्रशिक्षण के लिए किए जा रही योजनाओ पर प्रकाश डाला। शिक्षक समुदाय की ओर से आगरा कालेज  के पूर्व प्राचार्य मनोज रावत ने इस अभियान में अभिभावकों के योगदान पर जोर दिया।

चिरागों से ही घर रोशन नहीं होता, शिक्षा से भी घर होता है रोशन।

सेंट्रल स्क्वायर फाउंडेशन की इस पहल से कार्यक्र्म में मौजूद आगरा वासी प्रेरित हुए और उन्होंने  संकल्प लिया कि वे  बुनियादी शिक्षा (FLN) के लिए वे तन मन धन से सहयोग करेंगे। इस अवसर पर लोगों ने संकल्प लिया कि फाउंडेशन ने जो अलख जगाई है वे उसकी मशाल बनेंगे।

उपस्थित जन ने स्वीकार किया कि यात्रा यद्यपि कठिन है पर असंभव नहीं।

मंजिल दूर है पर नामुमकिन नहीं। बुनियाद मजबूत होगी तभी भारत बन सकेगा विश्व गुरु।

Keywords

Foundational Learning

Authored by

Pushpender Sharma

Senior Regional Editor, Hindustan Times

Share this on

Subscribe to our Newsletters
Voices from the ground: Featuring stories of #ClassroomHeroes