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बबीता परमार: संघर्ष से सफलता तक

Nov 19, 2025

एक अच्छा शिक्षक वह होता है जो न केवल बच्चों को पढ़ाता है, बल्कि उन्हें जीवन जीने की दिशा भी दिखाता है। यही भूमिका निभा रही हैं बबीता परमार, शासकीय कन्या प्राथमिक विद्यालय, जामनेर, मध्य प्रदेश की शिक्षिका। पिछले दस वर्षों से शिक्षा के क्षेत्र में कार्यरत, बबीता पिछले तीन वर्षों से इस विद्यालय में बच्चियों को पढ़ा रही हैं। एक छोटी बच्ची की माँ होने के साथ-साथ शिक्षिका बनने का उनका सफर संघर्षों से भरा रहा, लेकिन उन्होंने कभी हार नहीं मानी।

बबीता परमार, शिक्षिका, शासकीय कन्या प्राथमिक विद्यालय, जामनेर (मध्य प्रदेश)

बबीता बताती हैं, “मैं अपने गाँव की पहली लड़की थी जिसने शिक्षिका बनने का सपना पूरा किया।” बचपन में माँ का साया खोने के बाद, उनके दादा और पिता ने हमेशा उन्हें आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। आर्थिक तंगी और सामाजिक चुनौतियों के बावजूद उन्होंने शिक्षा के प्रति अपना विश्वास बनाए रखा।

कोविड-19 के दौरान जब वे विद्यालय से जुड़ीं, तब बच्चियों में पढ़ाई को लेकर कोई विशेष रुचि नहीं थी। धीरे-धीरे उन्होंने बच्चियों के साथ संवाद शुरू किया और उनके घर और परिवारों के बारे में जाना, ताकि विद्यालय उन्हें घर जैसा लगे। बबीता बच्चों को सिखाने के लिए आसपास के वातावरण और खेलों का सहारा लेती हैं, जिससे बच्चों के लिए सीखना रोचक होता है और वे इसमें अधिक रुचि लेते हैं।

मूलभूत साक्षरता और संख्यात्मकता (एफ.एल.एन) कार्यक्रम और मध्य प्रदेश के ‘मिशन अंकुर’ के तहत उन्होंने बच्चियों को सीखने के नए तरीके सिखाए। कहानियों, खेलों और शिक्षण-सामग्री के उपयोग से पढ़ाई को रोचक बनाया। पत्थरों, पत्तियों और तालियों के माध्यम से उन्होंने गिनती सिखाई, जिससे बच्चियां न केवल सीखने लगीं बल्कि पढ़ाई से जुड़ाव महसूस करने लगीं।

बबीता कहती हैं, “अब बच्चियां मुझसे बहुत प्यार करती हैं। जब हम कहते हैं कि कल स्कूल  की छुट्टी है, तो वे कहती हैं कि टीचर, हमें आपकी याद आएगी।”

आज बबीता का विद्यालय एक जीवंत सीखने का केंद्र बन चुका है, जहाँ बच्चियां आत्मविश्वास से भरी हैं और सीखने को लेकर उत्साहित हैं। बबीता परमार का सफर यह साबित करता है कि समर्पण और प्रेम से शिक्षा की हर चुनौती को अवसर में बदला जा सकता है।

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